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6 सित॰ 2011

बॉडीगार्ड ‍: फिल्म समीक्षा

Bodyguard
बैनर : रील लाइफ प्रोडक्शन प्रा.लि., रिलायंस एंटरटेनमेंट
निर्माता : अतुल ‍अग्निहोत्री, अलविरा अग्निहोत्री 
निर्देशक : सिद्दीकी
संगीत : प्रीतम, हिमेश रेशमिया 
कलाकार : सलमान खान, करीना कपूर, राज बब्बर, आदित्य पंचोली, महेमांजरेकर, रज रवैल, कैटरीना कैफ (मेहमान कलाकार)
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 14 रील 
शाहरुख खान भले ही ‘रा-वन’ में सुपरहीरो बनकर आ रहे हों, सलमान खान ने सुपरहीरो वाले कारनामे ‘बॉडीगार्ड’ में पेश कर दिए हैं। फिल्म का एक दृश्य है कि लवली सिंह (सलमान खान) ट्रेन में कहीं जा रहा है। उसके बॉस का फोन आता है और उसे एक काम सौंपा जाता है। यह काम विपरीत दिशा में है। लवली सिंह फौरन ट्रेन की छत पर जाता है और विपरीत दिशा में जा रही ट्रेन की छत पर कूद जाता है।

एक और सीन की चर्चा करते हैं। फाइटिंग सीन में सलमान की आंखों में धूल डाल दी गई है। वह आंखें नहीं खोल पा रहा है। घुटनों तक पानी में वह और ढेर सारे विलेन खड़े हैं। पानी में विलेन चलते हैं और आवाज होती है। इस आवाज के सहारे वह अनुमान लगा कर सभी को ढेर कर देता है। 

ऐसे कई दृश्य ‘बॉडीगार्ड’ में देखने को मिलते हैं क्योंकि सलमान का समय चल रहा है। वे जो कर रहे हैं दर्शकों को अच्छा लग रहा है। वे उनकी हर हकरत पर सीटी बजाते हैं। तालियां पीटते हैं। इसका लाभ फिल्म निर्देशक उठा रहे हैं और बजाय फिल्म निर्माण के अन्य पक्षों के वे सलमान पर ही फोकस कर रहे हैं। 

बॉडीगार्ड
‘बॉडीगार्ड’ एक प्रेम कहानी है। लवली सिंह एक बॉडीगार्ड है और वह एक ही एहसान चाहता है कि उस पर किसी किस्म का एहसान ना किया जाए। उसे दिव्या (करीना कपूर) की रक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है। परछाई की तरह लवली उसके साथ लग जाता है और इससे दिव्या परेशान हो जाती है। 

लवली से छुटकारा पाने के लिए दिव्या फोन पर छाया बनकर लवली सिंह को प्रेम जाल में फांसती है। लवली भी धीरे-धीरे छाया को बिना देखे ही चाहने लगता है। किस तरह से दिव्या अपने ही बुने हुए जाल में फंस जाती है यह फिल्म का सार है। 

कुछ बढ़िया एक्शन दृश्यों के बाद प्रेम कहानी शुरू हो जाती है। फर्स्ट हाफ तक तो ठीक लगता है, लेकिन इसके बाद यह खींची हुई लगने लगती है। लेकिन क्लाइमेक्स में कई उतार-चढ़ाव आते हैं जिससे दर्शक एक बार फिर फिल्म से बंध जाता है। फिल्म के अंत में कई संयोग देखने को मिलते हैं, लेकिन सलमान के फैंस सुखद अंत देखना पसंद करते हैं इसलिए यह जरूरी भी था। 

कहानी कई सवाल उठाती हैं, जिसमें सबसे अहम ये है कि दिव्या जब सचमुच में लवली को चाहने लगती है तो वह असलियत बताने में इतना वक्त क्यों लेती है। छाया बनकर दिव्या हमेशा लवली सिंह से बात करते समय दिव्या की बुराई क्यों करती है? 

रंजन म्हात्रे, दिव्या के खून का क्यों प्यासा है, ये भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। फिल्म में विलेन वाला ट्रेक ठीक से स्थापित नहीं किया गया है। यदि इस ट्रेक को दमदार बनाया जाता तो बॉडीगार्ड का चरित्र और उभर कर सामने आता। 

कमियों के बावजूद फिल्म में मनोरंजन का स्तर बना रहता है। दिव्या का लवली सिंह के प्रति प्यार कई जगह दिल को छूता है। लवली की मासूमियत और कॉमेडी अच्छी लगती है। एक्शन फिल्म का प्लस पाइंट है और इसमें नयापन भी है। सुनामी बने रजत रवैल कभी हंसाते हैं तो कभी बोर करते हैं। उनके टी-शर्ट पर लिखे स्लोगन बड़े मजेदार हैं।

सिद्दकी ने तीसरी या चौथी बार इसी कहानी पर फिल्म बनाई है। यहां पर उनका काम जल्दबाजी वाला लगता है। मानो किसी भी तरह डेडलाइन पूरी करनी हो। कई चीजों पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया है। 

सलमान खान फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पाइंट है। न केवल वे हैंडसम लगे हैं बल्कि लवली सिंह की मासूमियत को उन्होंने बेहतरीन तरीके से परदे पर उतारा है। एक्शन दृश्यों को उन्होंने विश्वसनीयता प्रदान की है।

Salman Khan
करीना कपूर का अभिनय भी उम्दा है। छाया के रूप में जब वे फोन पर बाते करती हैं तो उनकी आवाज को करिश्मा कपूर ने डब किया है। राज बब्बर, महेश मांजरेकर, आदित्य पंचोली, असरानी छोटे-छोटे रोल में हैं। कैटरीना कैफ भी चंद सेकंड्स के लिए परदे पर नजर आती हैं। 

फिल्म का संगीत उम्दा है, लेकिन सुपरहिट नहीं हो पाया है। ‘तेरी मेरी, मेरी तेरी प्रेम कहानी’ सबसे मधुर गीत है। आई लव यू, देसी बीट्स और टाइटल ट्रेक भी सुनने लायक हैं।

‘बॉडीगार्ड’ में वो सब कुछ है जो सलमान खान के प्रशंसक चाहते हैं। जो नहीं हैं उनक लि   औस फिल् है

क्या विकीलीक्स का मालिक गया था जेट प्लेन में मरे लिए सैंडल लेने: मायावती

बेबी पांडे : उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री ने आज मंगलवार को विकिलीक्स के खुलासे पर एक प्रेस कांफ्रेस की। संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि विकीलीक्स का मालिक पागल हो गया है। साथ ही मायावती ने विकीलीक्स के मालिक को पागलखाने भेजने की सलाह दी। मायावती ने कहा कि यदि उनके देश के पागलखाने में जगह नहीं है तो उसे आगरा के पागलखाने में भर्ती कराया जाए। मायावती ने विपक्षी पार्टी के उन नेताओं की भी कडी अलोचना की, जिन्होनें विकीलीक्स की बातौं को बढावा दिया। जेट प्लेन से चप्पल मंगाने के बारे में उन्हानें कहा कि शायद विकीलीक्स का मालिक खुद प्लेन में बैठकर मायावती के लिए सैंडल लेने मुंबई गया था। रसोई में बहुत सारे कर्मचारियों के सवाल पर मायावती ने कहा कि शायद वे मेरे किचन में बर्तन साफ करते हैं।

अमर ने मांगी बेल-मिली जेल,भगोरा व कुलस्ते भी न्यायिक हिरासत में

बेबी पांडे :नई दिल्ली। वोट के बदले नोट मामले में दिल् ली की एक अदालत ने पूर्व सपा नेता अमर सिंह,भाजपा के पूर्व सांसद महावीर भगोरा व फग्गन सिंह कुलस्ते को अदालत ने 19 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ज्ञात रहे, पुलिस की ओर से तैयार की गई चार्जशीट में 22 जुलाई 2008 के संसद में हुए शर्मनाक नाटक का मुख्य सूत्रधार अमरसिंह को बताया गया है। अमर सिंह ने अदालत से जमानत देने का अनुरोध किया था।
एक न्यूज चैनल ने पुलिस की यह चार्जशीट उसके पास होने का दावा करते हुए कहा कि चार्जशीट में कहा गया है कि संजीव सक्सेना ने अपने फोन नंबर से अमर सिंह की तीन भाजपा सांसदों से बात कराई थी। उस रात अमर सिंह से जु़डे तीन और लोगों के फोन की संजीव सक्सेना ने इस्तेमाल किया। अमर सिंह ने पूछताछ में कहा था कि संजीव सक्सेना उनका नहीं, शाहिद सिद्दीकी की कर्मचारी है, लेकिन शाहिद सिद्दीकी ने इस बात से इनकार कर दिया। पुलिस ने अमर सिंह और संजीव सक्सेना की नजदीकियों के और भी सबूत चार्जशीट में पेश किए हैं। संजीव सक्सेना ने जिस जिप्सी से भाजपा सांसदों तक पैसा पहुंचाया, वह भी अमरसिंह के परिवार की एक कंपनी की थी।
चार्जशीट के मुताबिक भाजपा के तीन सांसदों फग्गन सिंह कुलस्ते, अशोक अर्गल और महावीर सिंह भगोरा को विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से गैरहाजिर रहने के लिए तीन-तीन करो़ड रूपए में सौदा हुआ था। इस स्टिंग ऑपरेशन के पीछे लालकृष्ण आडवाणी के करीबी रहे भाजपा नेता सुधींद्र कुलकर्णी का दिमाग था। सुधींद्र कुलकर्णी के ही घर 21 जुलाई, 2008 को भाजपा के तीन सांसदों और सुहैल हिंदुस्तानी की बैठक हुई। वहीं इन तीनों सांसदों के नाम पर कांग्रेसी या समाजवादी पार्टी के नेताओं को फोन करने की योजना बनी। इस समूची साजिश को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी सुहैल हिंदुस्तानी और संजीव सक्सेना को सौंपी गई थी। इस पूरी साजिश के दौरान कुलकर्णी इन लोगों के संपर्क में रहे, यहां तक कि पैसे देते वक्त भी वह मौजूद थे. यह वही पैसा था जिसकी गडियां भाजपा के तीन सांसदों ने संसद में लहराई थी.